डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के प्रदर्शन के बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बजट 2021-22 में कृषि क्षेत्र के लिए उठाए गए प्रावधानों का समर्थन किया। उन्होंने दोहराया कि सरकार छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के लिए काम कर रही है। पीएम मोदी ने ये भी कहा कि छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के बिना भारत का विकास नहीं हो सकता। पीएम मोदी ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब कृषि सेक्टर में प्राइवेट प्लेयर्स को बल दिया जाए।
खबर में खास:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक वेबिनार को संबोधित किया।
- वेबिनार में बजट में कृषि क्षेत्र पर किस तरह फोकस रखा गया उस बारे में चर्चा हुई।
- पीएम ने कहा, कृषि क्षेत्र में प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर को साथ आना होगा।
- देश के छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने काफी फैसले लिए हैं।
- छोटे किसानों को ताकत देने से ही कृषि क्षेत्र का भला होगा।
- 21वीं सदी में भारत को पोस्ट हार्वेस्ट क्रांति या फिर फूड प्रोसेसिंग क्रांति और वैल्यू एडिशन की आवश्यकता है।
- देश के लिए बहुत अच्छा होता अगर ये काम दो-तीन दशक पहले ही कर लिया गया होता।
- आज हमें कृषि के हर सेक्टर में हर खाद्यान्न, फल, सब्जी, मत्स्य सभी में प्रोसेसिंग पर विशेष ध्यान देना है।
- इसके लिए जरूरी है कि किसानों को अपने गांवों के पास ही स्टोरेज की आधुनिक सुविधा मिले।
- खेत से प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचने की व्यवस्था सुधारनी ही होगी।
- हमें देश के एग्रीकल्चर सेक्टर का, प्रोसेस्ड फूड के ग्लोबल मार्केट में विस्तार करना ही होगा।
- हमें गांव के पास ही एग्रो इंडस्ट्रीज क्लस्टर की संख्या बढ़ानी ही होगी ताकि गांव के लोगों को गांव में ही खेती से जुड़े रोजगार मिल सकें।
- ऑपरेशन ग्रीन्स योजना के तहत किसान रेल के लिए सभी फलों और सब्जियों के परिवहन पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।
- किसान रेल भी आज देश के कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क का सशक्त माध्यम बनी है।
- खेती से जुड़ा एक और अहम पहलू सॉइल टेस्टिंग का है।
- बीते वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं।
- अब हमें देश में सॉइल हेल्थ कार्ड की टेस्टिंग की सुविधा गांव-गांव तक पहुंचानी है।
- एग्रीकल्चर सेक्टर में R&D को लेकर ज्यादातर योगदान पब्लिक सेक्टर का ही है।
- अब समय आ गया है कि इसमें प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़े।
- हमें अब किसानों को ऐसे विकल्प देने हैं जिसमें वो गेहूं-चावल उगाने तक ही सीमित न रहे।
- मोटे अनाज के लिए भारत की एक बड़ी जमीन बहुत उपयोगी है।
- मोटे अनाज की डिमांड पहले ही दुनिया में बहुत अधिक थी, अब कोरोना के बाद ये इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बहुत प्रसिद्ध हो चुका है।
- इस तरफ किसानों को प्रोत्साहित कराना भी फूड इंडस्ट्री के साथियों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
- हमारे यहां कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग लंबे समय से किसी न किसी रूप में की जा रही है।
- हमारी कोशिश होनी चाहिए की कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग सिर्फ व्यापार बनकर न रहे। बल्कि उस जमीन के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी हम निभाएं।
- किसानों को ऋण, बीज और बाजार, खाद ये किसान की प्राथमिक जरूरत है, जो उसे समय पर चाहिए।
- बीते वर्षों में किसान क्रेडिट कार्ड छोटे से छोटे किसानों तक, पशुपालकों से लेकर मछुआरों तक इसका दायरा बढ़ाया है।
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के प्रदर्शन के बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बजट 2021-22 में कृषि क्षेत्र के लिए उठाए गए प्रावधानों का समर्थन किया। उन्होंने दोहराया कि सरकार छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के लिए काम कर रही है। पीएम मोदी ने ये भी कहा कि छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के बिना भारत का विकास नहीं हो सकता। पीएम मोदी ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब कृषि सेक्टर में प्राइवेट प्लेयर्स को बल दिया जाए।
खबर में खास:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक वेबिनार को संबोधित किया।
- वेबिनार में बजट में कृषि क्षेत्र पर किस तरह फोकस रखा गया उस बारे में चर्चा हुई।
- पीएम ने कहा, कृषि क्षेत्र में प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर को साथ आना होगा।
- देश के छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने काफी फैसले लिए हैं।
- छोटे किसानों को ताकत देने से ही कृषि क्षेत्र का भला होगा।
- 21वीं सदी में भारत को पोस्ट हार्वेस्ट क्रांति या फिर फूड प्रोसेसिंग क्रांति और वैल्यू एडिशन की आवश्यकता है।
- देश के लिए बहुत अच्छा होता अगर ये काम दो-तीन दशक पहले ही कर लिया गया होता।
- आज हमें कृषि के हर सेक्टर में हर खाद्यान्न, फल, सब्जी, मत्स्य सभी में प्रोसेसिंग पर विशेष ध्यान देना है।
- इसके लिए जरूरी है कि किसानों को अपने गांवों के पास ही स्टोरेज की आधुनिक सुविधा मिले।
- खेत से प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचने की व्यवस्था सुधारनी ही होगी।
- हमें देश के एग्रीकल्चर सेक्टर का, प्रोसेस्ड फूड के ग्लोबल मार्केट में विस्तार करना ही होगा।
- हमें गांव के पास ही एग्रो इंडस्ट्रीज क्लस्टर की संख्या बढ़ानी ही होगी ताकि गांव के लोगों को गांव में ही खेती से जुड़े रोजगार मिल सकें।
- ऑपरेशन ग्रीन्स योजना के तहत किसान रेल के लिए सभी फलों और सब्जियों के परिवहन पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।
- किसान रेल भी आज देश के कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क का सशक्त माध्यम बनी है।
- खेती से जुड़ा एक और अहम पहलू सॉइल टेस्टिंग का है।
- बीते वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं।
- अब हमें देश में सॉइल हेल्थ कार्ड की टेस्टिंग की सुविधा गांव-गांव तक पहुंचानी है।
- एग्रीकल्चर सेक्टर में R&D को लेकर ज्यादातर योगदान पब्लिक सेक्टर का ही है।
- अब समय आ गया है कि इसमें प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़े।
- हमें अब किसानों को ऐसे विकल्प देने हैं जिसमें वो गेहूं-चावल उगाने तक ही सीमित न रहे।
- मोटे अनाज के लिए भारत की एक बड़ी जमीन बहुत उपयोगी है।
- मोटे अनाज की डिमांड पहले ही दुनिया में बहुत अधिक थी, अब कोरोना के बाद ये इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बहुत प्रसिद्ध हो चुका है।
- इस तरफ किसानों को प्रोत्साहित कराना भी फूड इंडस्ट्री के साथियों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
- हमारे यहां कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग लंबे समय से किसी न किसी रूप में की जा रही है।
- हमारी कोशिश होनी चाहिए की कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग सिर्फ व्यापार बनकर न रहे। बल्कि उस जमीन के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी हम निभाएं।
- किसानों को ऋण, बीज और बाजार, खाद ये किसान की प्राथमिक जरूरत है, जो उसे समय पर चाहिए।
- बीते वर्षों में किसान क्रेडिट कार्ड छोटे से छोटे किसानों तक, पशुपालकों से लेकर मछुआरों तक इसका दायरा बढ़ाया है।
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