IPS अफसरों से जुड़ी जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, बंगाल के अफसरों को प्रतिनियुक्ति पर बुला सकेगा केंद्र

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय पुलिस सेवा (कैडर) नियम, 1954 के नियम 6 (1) की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में आईपीएस (कैडर) एक्ट, 1954 के नियम 6(1) पर सवाल खड़े करते हुए कहा गया था कि केंद्र सरकार के पास राज्य सरकार द्वारा ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दों पर अधिक शक्ति है। इस वजह से राज्य सरकार को केंद्र के एक्शन का प्रभाव झेलना पड़ता है। ऐसे में इस प्रक्रिया की ओर अदालत को ध्यान देना चाहिए। जस्टिस नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच बंगाल के वकील अबू सोहेल की ओर से दायर इस जनहित याचिका पर सुनवाई की।

क्या है आईपीएस (कैडर) एक्ट, 1954 के नियम?

  • रूल 5 (1) के मुताबिक, विभिन्न कैडर्स में अधिकारियों को कैडर आवंटन संबंधित राज्य सरकार या राज्य सरकारों की सलाह पर केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
  • केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकारों की सहमति से एक कैडर अधिकारी को दूसरे कैडर में स्थानांतरित कर सकती है।
  • एक राज्य के अधिकारी का दूसरे कैडर में तबादला करने के लिए राज्य सरकार की सहमति आवश्यक है।
  • रूल 6(1) कहता है कि किसी भी असहमति की स्थिति में, केंद्र सरकार द्वारा लिया गया निर्णय माना जाएगा।
  • संबंधित राज्य सरकार या राज्य सरकारें पर केंद्र सरकार का निर्णय प्रभावी होगा।

केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच जंग?

  • बीते दिनों तीन आईपीएस अधिकारियों को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच जंग छिड़ गई थी।
  • मोदी सरकार पश्चिम बंगाल सरकार से कहा था कि तीन आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तुरंत रिलीव किया जाए।
  • बंगाल सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचना दी थी कि वह तीनों अधिकारियों को रिलीव करने में असमर्थ है
  • 9-10 दिसंबर को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पश्चिम बंगाल यात्रा पर थे।
  • इस दौरान डायमंड हार्बर में उनके काफिले पर हमला किया गया था।
  • संयोगवश, ये तीनों अधिकारी अपनी पोस्टिंग के आधार पर उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे।
  • यात्रा के दौरान नड्डा के काफिले में कई वाहनों पर कथित रूप से हमला किया गया।
  • डायमंड हार्बर क्षेत्र के सिरकोल में बीजेपी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं पर प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की जिसमें उन्हें चोटें आईं।
  • बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया था कि हमलावर टीएमसी के झंडे लिए हुए थे।


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Supreme Court Dismisses PIL Challenging 'Centre's Overriding Power' Over Deputation Of IPS Officers
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय पुलिस सेवा (कैडर) नियम, 1954 के नियम 6 (1) की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में आईपीएस (कैडर) एक्ट, 1954 के नियम 6(1) पर सवाल खड़े करते हुए कहा गया था कि केंद्र सरकार के पास राज्य सरकार द्वारा ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दों पर अधिक शक्ति है। इस वजह से राज्य सरकार को केंद्र के एक्शन का प्रभाव झेलना पड़ता है। ऐसे में इस प्रक्रिया की ओर अदालत को ध्यान देना चाहिए। जस्टिस नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच बंगाल के वकील अबू सोहेल की ओर से दायर इस जनहित याचिका पर सुनवाई की।

क्या है आईपीएस (कैडर) एक्ट, 1954 के नियम?

  • रूल 5 (1) के मुताबिक, विभिन्न कैडर्स में अधिकारियों को कैडर आवंटन संबंधित राज्य सरकार या राज्य सरकारों की सलाह पर केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
  • केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकारों की सहमति से एक कैडर अधिकारी को दूसरे कैडर में स्थानांतरित कर सकती है।
  • एक राज्य के अधिकारी का दूसरे कैडर में तबादला करने के लिए राज्य सरकार की सहमति आवश्यक है।
  • रूल 6(1) कहता है कि किसी भी असहमति की स्थिति में, केंद्र सरकार द्वारा लिया गया निर्णय माना जाएगा।
  • संबंधित राज्य सरकार या राज्य सरकारें पर केंद्र सरकार का निर्णय प्रभावी होगा।

केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच जंग?

  • बीते दिनों तीन आईपीएस अधिकारियों को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच जंग छिड़ गई थी।
  • मोदी सरकार पश्चिम बंगाल सरकार से कहा था कि तीन आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तुरंत रिलीव किया जाए।
  • बंगाल सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचना दी थी कि वह तीनों अधिकारियों को रिलीव करने में असमर्थ है
  • 9-10 दिसंबर को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पश्चिम बंगाल यात्रा पर थे।
  • इस दौरान डायमंड हार्बर में उनके काफिले पर हमला किया गया था।
  • संयोगवश, ये तीनों अधिकारी अपनी पोस्टिंग के आधार पर उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे।
  • यात्रा के दौरान नड्डा के काफिले में कई वाहनों पर कथित रूप से हमला किया गया।
  • डायमंड हार्बर क्षेत्र के सिरकोल में बीजेपी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं पर प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की जिसमें उन्हें चोटें आईं।
  • बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया था कि हमलावर टीएमसी के झंडे लिए हुए थे।


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