डिजिटल डेस्क (भोपाल)। भारत का अपने खिलाड़ियों को पदार्पण कराने का फैसला एक बार फिर से उस समय सही साबित हुआ, जब आलराउंडर क्रुणाल पांड्या ने मंगलवार को यहां महाराष्ट्र क्रिकेट संघ स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ खेले जा रहे पहले वनडे और अपने डेब्यू मुकाबले में अब तक का सबसे तेज अर्धशतक बना डाला। पिछले कुछ महीनों के दौरान पांड्या सहित कई ऐसे क्रिकेटरों ने भारत के लिए पदार्पण किया है और वे अपने डेब्यू मैच में ही अपना प्रभाव जमाने में सफल रहे हैं।
वाशिंगटन सुंदर ने ब्रिस्बेन में आस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे और अंतिम टेस्ट में डेब्यू किया था, जहां उन्होंने चार विकेट लेने के अलावा पहली पारी में 62 और दूसरी पारी में 22 रन का स्कोर बनाया था। सुंदर की उस 62 रन की पारी मैच पलटने वाली पारी साबित हुई थी, जब उन्होंने केवल अपना दूसरा टेस्ट खेल रहे शार्दुल ठाकुर के साथ शानदार साझेदारी की थी और सात विकेट भी लिए थे।
उनके अलावा टी नटराजन ने आस्ट्रेलिया में तीनों फॉर्मेट में भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण किया था। नटराजन ने ब्रिस्बेन में खेले गए अपने पहले टेस्ट मैच में तीन विकेट लिए थे। नटराजन से पहले, आस्ट्रेलिया दौरे पर भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने वाले खिलाड़ियों में तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज, सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल और तेज गेंदबाज नवदीप सैनी शामिल हैं। ये सभी उससे पहले सीमित ओवरों के क्रिकेट खेल चुके थे।
सिराज और गिल ने भारत को टेस्ट जिताने में अहम योगदान दिया था। उस सीरीज में सिराज ने भारत के लिए अब तक सबसे ज्यादा ओवर फेंकने का रिकॉर्ड बनाया था और साथ ही उन्होंने सबसे ज्यादा 13 विकेट भी लिए थे। साथ ही गिल ने दो अर्धशतकों की मदद से 51.8 की औसत से 259 रन बनाए थे। भारत ने घर में इंग्लैंड के खिलाफ हार के साथ टेस्ट सीरीज की शुरुआत की थी। लेकिन इसके बाद अक्षर पटेल ने टेस्ट में डेब्यू किया और फिर उन्होंने अंतिम तीन टेस्ट मैचों में 27 विकेट लेकर भारत को 3-1 टेस्ट सीरीज में जिताने में अहम योगदान दिया था।
इसके बाद इंग्लैंड के साथ ही टी20 सीरीज में ईशान किशन और सूर्यकुमार यादव ने इंटरनेशनल क्रिकेट में अपना डेब्यू किया। ईशान और सूर्यकुमार, दोनों ने अपने डेब्यू मैच में अर्धशतक जमाया। सूर्यकुमार ने दूसरे टी20 में 31 गेंदों पर 57 रन बनाए क्योंकि पहले मैच में उनकी बल्लेबाजी करने की बारी नहीं आई थी। ईशान ने पहले टी20 में ओपनिंग करते हुए 32 गेंदों पर 56 रनों की पारी खेली थी।
मंगलवार को ही इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के पहले मैच में क्रुणाल पांड्या और तेज गेंदबाज एम प्रसिद्ध कृष्णा ने वनडे में पदार्पण किया। क्रुणाल ने जहां अर्धशतक लगाया तो वहीं, कृष्णा ने पहले दो ओवर में दो विकेट लिए। 2000 की शुरुआत में भी सौरव गांगुली की कप्तानी में कई खिलाड़ियों ने पदार्पण किया और भारत की एक मजबूत कोर टीम बनी, जिसने बाद में जाकर 2007 टी20 विश्व कप और फिर 2011 में विश्व कप जीता।
जहीर खान और युवराज सिंह, दोनों ने चैंपियंस ट्रॉफ के प्री क्वार्टर फाइनल में केन्या के खिलाफ पदार्पण किया था। हरभजन ने 1998 में वनडे और टेस्ट में पदार्पण किया था। उनसे पहले राहुल द्रविड़ और गांगुली ने 1996 में इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट में डेब्यू किया था।
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डिजिटल डेस्क (भोपाल)। भारत का अपने खिलाड़ियों को पदार्पण कराने का फैसला एक बार फिर से उस समय सही साबित हुआ, जब आलराउंडर क्रुणाल पांड्या ने मंगलवार को यहां महाराष्ट्र क्रिकेट संघ स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ खेले जा रहे पहले वनडे और अपने डेब्यू मुकाबले में अब तक का सबसे तेज अर्धशतक बना डाला। पिछले कुछ महीनों के दौरान पांड्या सहित कई ऐसे क्रिकेटरों ने भारत के लिए पदार्पण किया है और वे अपने डेब्यू मैच में ही अपना प्रभाव जमाने में सफल रहे हैं।
वाशिंगटन सुंदर ने ब्रिस्बेन में आस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे और अंतिम टेस्ट में डेब्यू किया था, जहां उन्होंने चार विकेट लेने के अलावा पहली पारी में 62 और दूसरी पारी में 22 रन का स्कोर बनाया था। सुंदर की उस 62 रन की पारी मैच पलटने वाली पारी साबित हुई थी, जब उन्होंने केवल अपना दूसरा टेस्ट खेल रहे शार्दुल ठाकुर के साथ शानदार साझेदारी की थी और सात विकेट भी लिए थे।
उनके अलावा टी नटराजन ने आस्ट्रेलिया में तीनों फॉर्मेट में भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण किया था। नटराजन ने ब्रिस्बेन में खेले गए अपने पहले टेस्ट मैच में तीन विकेट लिए थे। नटराजन से पहले, आस्ट्रेलिया दौरे पर भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने वाले खिलाड़ियों में तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज, सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल और तेज गेंदबाज नवदीप सैनी शामिल हैं। ये सभी उससे पहले सीमित ओवरों के क्रिकेट खेल चुके थे।
सिराज और गिल ने भारत को टेस्ट जिताने में अहम योगदान दिया था। उस सीरीज में सिराज ने भारत के लिए अब तक सबसे ज्यादा ओवर फेंकने का रिकॉर्ड बनाया था और साथ ही उन्होंने सबसे ज्यादा 13 विकेट भी लिए थे। साथ ही गिल ने दो अर्धशतकों की मदद से 51.8 की औसत से 259 रन बनाए थे। भारत ने घर में इंग्लैंड के खिलाफ हार के साथ टेस्ट सीरीज की शुरुआत की थी। लेकिन इसके बाद अक्षर पटेल ने टेस्ट में डेब्यू किया और फिर उन्होंने अंतिम तीन टेस्ट मैचों में 27 विकेट लेकर भारत को 3-1 टेस्ट सीरीज में जिताने में अहम योगदान दिया था।
इसके बाद इंग्लैंड के साथ ही टी20 सीरीज में ईशान किशन और सूर्यकुमार यादव ने इंटरनेशनल क्रिकेट में अपना डेब्यू किया। ईशान और सूर्यकुमार, दोनों ने अपने डेब्यू मैच में अर्धशतक जमाया। सूर्यकुमार ने दूसरे टी20 में 31 गेंदों पर 57 रन बनाए क्योंकि पहले मैच में उनकी बल्लेबाजी करने की बारी नहीं आई थी। ईशान ने पहले टी20 में ओपनिंग करते हुए 32 गेंदों पर 56 रनों की पारी खेली थी।
मंगलवार को ही इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के पहले मैच में क्रुणाल पांड्या और तेज गेंदबाज एम प्रसिद्ध कृष्णा ने वनडे में पदार्पण किया। क्रुणाल ने जहां अर्धशतक लगाया तो वहीं, कृष्णा ने पहले दो ओवर में दो विकेट लिए। 2000 की शुरुआत में भी सौरव गांगुली की कप्तानी में कई खिलाड़ियों ने पदार्पण किया और भारत की एक मजबूत कोर टीम बनी, जिसने बाद में जाकर 2007 टी20 विश्व कप और फिर 2011 में विश्व कप जीता।
जहीर खान और युवराज सिंह, दोनों ने चैंपियंस ट्रॉफ के प्री क्वार्टर फाइनल में केन्या के खिलाफ पदार्पण किया था। हरभजन ने 1998 में वनडे और टेस्ट में पदार्पण किया था। उनसे पहले राहुल द्रविड़ और गांगुली ने 1996 में इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट में डेब्यू किया था।
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