डिजिटल डेस्क,मुंबई। 'मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी जावनी है...' गीत को लिखने वाले मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी की आज 100वीं जयंती है। हिंदी सिनेमा और उर्दू शायरी में साहिर का महत्वपूर्ण योगदान रहा,यही वजह हैं कि, इतने बरस बाद भी उनकी शायरी और नज्म लोगों के जहन में बैठे हुए है। साहिर का जन्म 8 मार्च, 1921 को लुधियाना में और निधन 25 अक्टूबर, 1980 को मुंबई में हुआ था। लुधियानवी और अमृता प्रीतम की प्रेम कहानी मशहूर लव स्टोरी में से एक है।
दरअसल साहिर जब कॉलेज में पढ़ते थे तो, उन्हें अमृता प्रीतम से प्यार हो गया था। यह प्रेम विफल रहा। कहा जाता हैं कि, साहिर मुसलमान थे, इस वजह से अमृता के माता-पिता को यह प्रेम रास नहीं आ रहा था। बात यहां तक बिगड़ गई कि अमृता के पिता के कहने पर साहिर को कॉलेज से निकाल दिया गया था। साहिर ने लिखा है- ‘जज्बात भी हिंदू होते हैं, चाहत भी मुसलमां होती है/ दुनिया का इशारा था लेकिन समझा न इशारा दिल ही तो है।’
साहिर लुधियानवी की रोचक बातें
- साहिर का असल नाम अब्दुल हई था। उन्होंने साहिर नाम खुद रखा था जिसका मतलब होता है जादूगर और चूंकि वह लुधियाना के रहने वाले थे इसलिए लुधियानवी नाम रखा। इस तरह उनका नाम साहिर लुधियानवी हो गया।
- साहिर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा खालसा हाई स्कूल में पूरी की और उसके बाद गवर्नमेंट कालेज में दाखिला लिया।
- गुलजार साहब से भी पहले हिंदी सिनेमा में अगर उर्दू पर किसी को महारत हासिल थी तो वह साहिर थे।
- मशहूर पंजाबी लेखक-साहित्यकार अमृता प्रीतम और साहिर की प्रेम कहानी से सभी रुबरु है। दोनों ने कॉलेज में साथ पढ़ाई की। साहिर उनकी कविताओं को पसंद करते थे।
- अमृता से प्रेम करने की वजह से साहिर को साल 1943 में कॉलेज से निकाल दिया गया। क्योंकि अमृता के पिता दोनों के रिश्ते से राजी नहीं थी।दरअसल साहिर मुस्लिम थे और अमृता सिख। इसलिए उनके पिता को यह संबंध मंजूर नहीं था।
- साहिर के माता-पिता का बचपन में ही तलाक हो गया था,जिसकी वजह से उनका जीवन भी संघर्षों से भरा रहा।
- साहिर ने 22 साल की उम्र में अपनी शायरी की पहली किताब तल्खियां 1943 में प्रकाशित की।
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डिजिटल डेस्क,मुंबई। 'मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी जावनी है...' गीत को लिखने वाले मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी की आज 100वीं जयंती है। हिंदी सिनेमा और उर्दू शायरी में साहिर का महत्वपूर्ण योगदान रहा,यही वजह हैं कि, इतने बरस बाद भी उनकी शायरी और नज्म लोगों के जहन में बैठे हुए है। साहिर का जन्म 8 मार्च, 1921 को लुधियाना में और निधन 25 अक्टूबर, 1980 को मुंबई में हुआ था। लुधियानवी और अमृता प्रीतम की प्रेम कहानी मशहूर लव स्टोरी में से एक है।
दरअसल साहिर जब कॉलेज में पढ़ते थे तो, उन्हें अमृता प्रीतम से प्यार हो गया था। यह प्रेम विफल रहा। कहा जाता हैं कि, साहिर मुसलमान थे, इस वजह से अमृता के माता-पिता को यह प्रेम रास नहीं आ रहा था। बात यहां तक बिगड़ गई कि अमृता के पिता के कहने पर साहिर को कॉलेज से निकाल दिया गया था। साहिर ने लिखा है- ‘जज्बात भी हिंदू होते हैं, चाहत भी मुसलमां होती है/ दुनिया का इशारा था लेकिन समझा न इशारा दिल ही तो है।’
साहिर लुधियानवी की रोचक बातें
- साहिर का असल नाम अब्दुल हई था। उन्होंने साहिर नाम खुद रखा था जिसका मतलब होता है जादूगर और चूंकि वह लुधियाना के रहने वाले थे इसलिए लुधियानवी नाम रखा। इस तरह उनका नाम साहिर लुधियानवी हो गया।
- साहिर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा खालसा हाई स्कूल में पूरी की और उसके बाद गवर्नमेंट कालेज में दाखिला लिया।
- गुलजार साहब से भी पहले हिंदी सिनेमा में अगर उर्दू पर किसी को महारत हासिल थी तो वह साहिर थे।
- मशहूर पंजाबी लेखक-साहित्यकार अमृता प्रीतम और साहिर की प्रेम कहानी से सभी रुबरु है। दोनों ने कॉलेज में साथ पढ़ाई की। साहिर उनकी कविताओं को पसंद करते थे।
- अमृता से प्रेम करने की वजह से साहिर को साल 1943 में कॉलेज से निकाल दिया गया। क्योंकि अमृता के पिता दोनों के रिश्ते से राजी नहीं थी।दरअसल साहिर मुस्लिम थे और अमृता सिख। इसलिए उनके पिता को यह संबंध मंजूर नहीं था।
- साहिर के माता-पिता का बचपन में ही तलाक हो गया था,जिसकी वजह से उनका जीवन भी संघर्षों से भरा रहा।
- साहिर ने 22 साल की उम्र में अपनी शायरी की पहली किताब तल्खियां 1943 में प्रकाशित की।
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